US Cable On India Ukraine Russia Stand: संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारत के यूक्रेन को लेकर आए प्रस्‍ताव पर तटस्‍थ रहने पर अमेरिका भड़क गया है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने दूतावासों को भेजे अपने गोपनीय संदेश में कहा है कि भारत और UAE दोनों ही रूस के खेमे में हैं।

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                     यूक्रेन युद्ध में भारत के तटस्‍थ रहने पर भड़का अमेरिका

हाइलाइट्स

  • यूक्रेन और रूस युद्ध पर भारत के संयुक्‍त राष्‍ट्र में तटस्‍थ रहने का दुष्‍परिणाम सामने आ रहा है
  • अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने अपने राजनयिकों को एक पुराने गोपनीय संदेश को याद दिलाया है
  • इसमें अमेरिकी राज‍नयिकों को कहा गया है कि वे अपने भारतीय समकक्षों को यूक्रेन पर मनाएं

 वॉशिंगटन

यूक्रेन और रूस युद्ध पर भारत के संयुक्‍त राष्‍ट्र में तटस्‍थ रहने का दुष्‍परिणाम अब अमेरिका के साथ रिश्‍तों पर साफ तौर पर नजर आने लगा है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने अपने राजनयिकों को एक पुराने गोपनीय संदेश को याद दिलाया है। इस गोपनीय संदेश में अमेरिकी राज‍नयिकों को कहा गया है कि वे अपने भारतीय समकक्षों को यह सूचित करें कि यूक्रेन के मामले में उनका तटस्‍थ रहना उन्‍हें 'रूस के खेमे' में ले जा रहा है।




अमेरिकी मीडिया Axios की रिपोर्ट के मुताबिक इस बेहद सख्‍त लहजे वाले संदेश को याद दिलाना इस बात को दर्शाता है कि अमेरिका सरकार के अंदर अपने दो मुख्‍य सहयोगियों को लेकर नीतिगत विवाद चल रहा है। राजयनयिक केबल या गोपनीय संदेश को विदेश मंत्रालय प्रासंगिक पक्षों को भेजता है। यही नहीं इस संदेश को विभिन्‍न दूतावासों को भेजने से पहले विभिन्‍न अधिकारियों के द्वारा जांच की जाती है। यही नहीं आंतरिक नीतिगत फैसलों और दिशा निर्देशों को विदेश में तैनात राजनयिकों को देने के लिए प्रमुख रूप से राजनयिक केबल का ही सहारा लिया जाता है।



करीब 50 देशों में मौजूद अमेरिकी दूतावासों को भेजा गया
इस राजनयिक केबल को सोमवार को मानवाधिकार परिषद की बैठक से ठीक पहले करीब 50 देशों में मौजूद अमेरिकी दूतावासों को भेजा गया था लेकिन उसे मंगलवार को उसे वापस ले लिया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब इस बारे में अमेरिकी विदेश मंत्रालय से संपर्क किया गया तो उसे विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता ने एक गलती करार दिया। प्रवक्‍ता ने कहा, 'इस तरह की भाषा को कभी भी मंजूरी नहीं दिया जाता है। इस केबल को गलती से जारी कर दिया गया था और इसी वजह से उसे वापस ले लिया गया है।'



इस अत्‍यंत गोपनीय संदेश में कहा गया है कि अमेरिकी राजनयिक भारत और संयुक्‍त अरब अमीरात को यूक्रेन-रूस विवाद में अपनी स्थिति बदलने के लिए दबाव डालें। इसमें कहा गया है, 'बातचीत के लिए आह्वान करना जैसाकि आप सुरक्षा परिषद में कर रहे हैं, यह तटस्‍थ रवैया नहीं है। यह आपको रूस के खेमे में ले जाता है जो इस जंग में हमलावर है।' यह संदेश अमेरिकी राजनयिकों को भारत और यूएई के अधिकारियों को देने के लिए कहा गया है। इसमें कहा गया है, 'हम आपको मजबूती के साथ इसके लिए प्रोत्‍साहित करना चाहते हैं कि आप इस मौके का फायदा उठाएं और मानवाधिकार परिषद में यूक्रेन को अपना समर्थन दें। आप संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में इस मौके का लाभ उठाने में चूक गए थे।'


मानवाधिकार परिषद की जिनेवा में बैठक होने जा रही
बता दें कि भारत और यूएई दोनों ही अमेरिका के बड़े भागीदार हैं। भारत चीन के खिलाफ बन रहे गठजोड़ में अमेरिका का घनिष्‍ठ सहयोगी देश है। इससे पहले संयुक्‍त राष्‍ट्र में भारत ने यूक्रेन मामले पर आए प्रस्‍ताव में हिस्‍सा नहीं लिया था। अब गुरुवार को मानवाधिकार परिषद की जिनेवा में बैठक होने जा रही है। माना जा रहा है कि इस बैठक में रूस के आक्रमण की निंदा हो सकती है और रूस के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने के लिए आयोग बनाने को मंजूरी दी जा सकती है।





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